सूरह अल अन्फाल के संक्षिप्त विषय
यह सूरह मदनी है, इस में 75 आयतें हैं।
यह सूरह मदनी है, इस में 75 आयतें हैं।
- यह सूरह सन् 2 हिज़ी में बद्र के युद्ध के पश्चात् उतरी। नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) को जब काफिरों ने मारने की योजना बनाई और आप मदीना हिज़रत कर गये तो उन्होंने अब्दुल्लाह बिन उब्य्य को पत्र लिखा और यह धमकी दी कि आप उन को मदीना से निकाल दें अन्यथा वह मदीना पर अक्रमण कर देंगे। अब मुसलमानों के लिये यही उपाय था कि शाम के व्यापारिक मार्ग से अपने विरोधियों को रोक दिया जाये। सन् 2 हिज्री में मक्के का एक बड़ा काफिला शाम से मक्का वापिस हो रहा था। जब वह मदीना के पास पहुँचा तो नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) अपने साथियों के साथ उस की ताक में निकले। मुसलमानों के भय से काफ़िले का मुख्या अबू सुफयान ने एक व्यक्ति को मक्का भेज दिया कि मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) अपने साथियों के साथ तुम्हारे काफिले की ताक में हैं। यह सुनते ही एक हज़ार की सेना निकल पड़ी। अबू सुफ्यान दूसरी राह से बच निकला। परन्तु मक्का की सेना ने यह सोचा कि मुसलमानों को सदा के लिये कुचल दिया जाये। और इस प्रकार मुसलमानों से बद्र के क्षेत्र में सामना हुआ तथा दोनों के बीच यह प्रथम ऐतिहासिक संघर्ष हुआ जिस में मक्का के काफ़िरों के बड़े बड़े 70 व्यक्ति मारे गये और इतने ही बंदी बना लिये गये।
- यह इस्लाम का प्रथम ऐतिहासिक युद्ध था जिस में सत्य की विजय हुई। इस लिये इस में युद्ध से संबंधित कई नैतिक शिक्षायें दी गई हैं। जैसे यह की जिहाद धर्म की रक्षा के लिये होना चाहिये, धन के लोभ, तथा किसी पर अत्याचार के लिये नहीं। विजय होने पर अल्लाह का आभारी होना चाहिये। क्यों कि विजय उसी की सहायता से होती है। अपनी वीरता पर गर्व नहीं होना चाहिये।
- जो गैर मुस्लिम अत्याचार न करें उन पर आक्रमण नहीं करना चाहिये। और जिन से संधि हो उन पर धोखा दे कर नहीं आक्रमण करना चाहिये और न ही उन के विरुद्ध किसी की सहायता करनी चाहिये। शत्रु से जो सामान (गनीमत) मिले उसे अल्लाह का माल समझना चाहिये और उस के नियमानुसार उस का पाँचवाँ भाग निर्धनों और अनाथों की सहायता के लिये खर्च करना चाहिये जो अनिवार्य है।
- इस में युद्ध के बंदियों को भी शिक्षा प्रद शैली में संबोधित किया गया है।
- इस सूरह से इस्लामी जिहाद की वास्तविक्ता की जानकारी होती है।
- शत्र से जो सामान (गनीमत) मिले उसे अल्लाह का माल समझना चाहिये और उस के नियमानुसार उस का पाँचवाँ भाग निर्धनों और अनाथों की सहायता के लिये खर्च करना चाहिये जो अनिवार्य है।
- इस में युद्ध के बंदियों को भी शिक्षा प्रद शैली में संबोधित किया गया है।
- इस सरह से इस्लामी जिहाद की वास्तविक्ता की जानकारी होती है।
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