सूरह अत तौबा के संक्षिप्त विषय
यह सूरह मदनी है, इस में 129 आयतें है।
यह सूरह मदनी है, इस में 129 आयतें है।
- इस सुरह में तौबा की शुभ सूचना तथा वचन भंगी काफ़िरों से विरक्त होने की घोषणा है। इसलिये इस का नाम सूरह तौबा और बराआ (विरक्ति) दोनों है।
- यह सन् (8-9) हिजरी के बीच मक्का की विजय के पश्चात् नबी (सल्लल्लाह अलैहि व सल्लम) पर समय-समय से उतरी। और सन् (9) हिजरी में जब आप ने अबू बक्र (रज़ियल्लाहु अन्हु) को हज्ज का अमीर बना कर भेजा तो इस की आरंभिक आयतें उतरीं। और यह एलान किया गया कि काफिरों से संधि तोड़ दी गई और अहले किताब से संबंधित इस्लामी शासन की नीति बताते हुये उन्हें सावधान किया गया।
- इस में इस्लामी वर्ष और महीने का पालन करने का निर्देश दिया गया।
- तबूक के युद्ध के लिये मुसलमानों को उभारा गया तथा मुनाफ़िकों की निन्दा की गई जो जिहाद से जी चुराते थे।
- यह बताया गया कि ज़कात किन को दी जाये। और ईमान वालों को सफल होने की शुभ सूचना दी गई। मुनाफ़िकों के साथ जिहाद करने का आदेश दिया गया। और उन्हें सुधर जाने और अल्लाह तथा रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) की आज्ञा का पालन करने को कहा गया अन्यथा वह अपने ईमान के दावे में झूठे हैं।
- नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के सच्चे साथियों को शुभ सूचना देने के साथ ग्रामीण वासियों को उन के निफ़ाक़ पर धमकी दी गई।
- जिहाद से जी चुराने वालों के झूठ को उजागर किया गया और ईमान वालों के दोष क्षमा करने का एलान किया गया। मुनाफ़िकों के मस्जिद बना कर षड्यंत्र रचने का भंडा फोड़ने के साथ मुश्रिकों के लिये क्षमा की प्रार्थना करने से रोक दिया गया। और मदीना के आस-पास के ग्रामिणों को नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के लिये जान दे देने तथा धर्म के समझने के निर्देश दिये गये।
- ईमान वालों को जिहाद का निर्देश और मुनाफ़िकों को अन्तिम चेतावनी दी गई।
- अन्त में कहा गया कि नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) तुम्हारी केवल भलाई चाहते हैं। इसलिये यदि तुम उन का आदर करोगे तो तुम्हारा ही भला होगा।
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